रविवार, 10 फ़रवरी 2013

वेद का सामान्य परिचय (General overview of the Vedas)


मैं वेद प्रचार के लिए महाराष्ट्र के लातूर नगर गया सभा के बाद कुछ सज्जन वेद बहुत होते हैं तथा कुछ सज्जन कह रहे थे की वेद केवल चार होते हैं आपके मन में भी प्रश्न आरहा होगा क्या वेद के प्रति इस प्रकार की भी मान्यता रखने वाले व्यक्ति भी भारत में हैं ! आपको और आश्चर्य होगा जब मैं अगली बात बताऊंगा -- मैं फर्रुखाबाद से आगे चाऊँपुर गाँव में सैट दिन की वेदकथा गया मैंने आयोजकों से कहा की वेद ग्रंथों को मंच पर रखना है तो आयोजकों ने कहा की हमारे पास वेद नहीं हैं ! मैंने कहा की पास में नन्दबाग है वहां श्री कन्हैया लाल हैं उनके पास वेद ग्रन्थ हैं वहां से लाओ इस पर एक सज्जन जो दूर से सुन कर दौड़ कर आया और बोला वेद मंगाए जा रहे मेरी वेद देखने की बहुत इच्छा है तो यह बताईये नन्दबाग से वेद कैसे लाये जायेंगे 

मोटरसाईकिल पर आ जायेंगे या उनके लाने के लिए ट्रेक्टर भेजना पड़ेगा

अर्थात वह व्यक्ति यह नहीं जनता है की वेद कितने बड़े होते हैं आईये विचार करें की भारत के लोग वेद के बारे में क्या मान्यता रखते हैं और क्यूँ रखते हैं १ वेद कितने हैं ? २ वेदों को किसने बनाया है ? ३ वेद कितने बड़े हैं? ४ क्या वेदों में श्री राम, श्री कृष्ण, महादेव, काली, लक्ष्मी , देवी सरस्वती ऋषी , महर्षी आदि की कहानी है ? ५ क्या वेदों के अतिरिक्त हमारी भारतीय संस्कृति का आधार और कुछ है ? उपरोक्त मान्यता व्यक्ति इसलिए रखते हैं की उन्होंने वेदों को नहीं देखा है ! वेदों को पढ़िए और जानिए---- १ वेद चार होते हैं ! २ वेद ईश्वरके द्वारा प्रदत्त ज्ञान है ! ३ वेदों में श्री राम, श्री कृष्ण, महादेव, काली, लक्ष्मी , देवी सरस्वती ऋषी , महर्षी आदि की कहानी नहीं है बल्कि श्री राम, श्री कृष्ण, महादेव, काली, लक्ष्मी , देवी सरस्वती ऋषी , महर्षी आदि के नाम वेदों के आधार पर रखे गए थे ! ४ वेद सब सत्य विद्याओं का पुस्तक है और कोई पुस्तक ऐसी नहीं है की जिसमें संसार की सभी सत्य विद्याएँ नहीं है ! ५ वेद सृष्टि के आदि का ग्रन्थ है अन्य ग्रन्थ बहुत नए हैं ! ६ वेद में जो लिखा है वही संसार में गटित होता है और जो संसार में होता है वही वेद में लिखा हुआ है, ऐसा अन्य किसी ग्रन्थ के साथ नहीं है ! ७ केवल वेद ही भारत की संस्कृति के आधार हैं ! आओ ! वेदों की ओर लौटें !
महर्षि दयानन्द सरस्वती जी के हमारे ऊपर बड़े उपकार हैं ! महर्षि जी कहते हैं की वेदों से पहले ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका अवश्य पढ़नी चाहिए तभी वेदों को समझ पाएंगे !
सभी मित्रों से निवेदन है की प्रस्तुत विचारों पर अपनी टिप्पणी अवश्य भेजें !

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