गुरुवार, 28 फ़रवरी 2013

मंदिरों में जले सैकड़ों दीप हैं !जिन्दगी में किसीकी जलाओ दिया !!





मंदिरों में जले सैकड़ों दीप हैं !जिन्दगी में किसीकी जलाओ दिया !!
झोपडी में किसीकी जलाओ दिया !!!

ये कलश के कलश दूध अभिषेक का फैलता नालियों में बहा जा रहा !
घूंट दो घूंट देदेते मासूम को याद जिसको नहीं दूध कब था पिया !!
जिन्दगी में किसीकी जलाओ दिया !झोपडी में किसीकी जलाओ दिया !!

ये थाल व्यंजन भरे जिसके आगे धरे वो न सूंघेगा खाना बड़ी बात है !
टूक दो टूक देदो अभागे को तुम भूख को मेटने जिसने पानी पिया !!
जिन्दगी में किसीकी जलाओ दिया !झोपडी में किसीकी जलाओ दिया !!

तुमने चुंदरी चढ़ाई बड़ी भक्ति से सैकड़ों चुदारियां हैं न ओढेगी वो !
उस बेटी के कुर्ते पर डालो नजर चिंदी चिंदी हुआ अब न जाता सियां!!
जिन्दगी में किसीकी जलाओ दिया !झोपडी में किसीकी जलाओ दिया !!

गंगा यमुना की करते रहे आरती और प्रदूषण भी सारा वहाया वहीं !
अँधाविश्वास ऐसा प्रबल हो गया पाप सब धुल गए आचमन कर लिया !!
जिन्दगी में किसीकी जलाओ दिया !झोपडी में किसीकी जलाओ दिया !!

भागवत भी सुनी और कथा राम की किन्तु बदलाव जीवन में आया नहीं !
उस व्यथा की कथा भी सुनों तो जरा जिसकी वेटी ने पति गृह में विष पी लिया !!
जिन्दगी में किसीकी जलाओ दिया !!झोपडी में किसीकी जलाओ दिया !!!

पर्वतों के शिखर शिव का पूजन किया और घाटियों में रहे देवियाँ ढूँडते !
घर के शिव और देवी उपेक्षित पड़े, हैं दुखारी बड़े अब न जाता जिया !!
जिन्दगी में किसीकी जलाओ दिया !झोपडी में किसीकी जलाओ दिया !!

मंदिरों में जले सैकड़ों दीप हैं ! जिन्दगी में किसीकी जलाओ दिया !!
झोपडी में किसीकी जलाओ दिया !!!

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