कर्मों का आधार विचार होते हैं। आज के मनुष्य के विचार बिगड़ गए हैं जिससे कर्म बिगड़ गए हैं। कर्मों को अच्छा बनाने के लिए विचारों को अच्छा बनाने की आवश्यकता है। इसलिए वैचारिक क्रांति की आवश्यकता है......................
गुरुवार, 26 मार्च 2020
आध्यात्मिक चर्चा - १६
सोमवार, 23 मार्च 2020
आध्यात्मिक चर्चा - १५
गुरुवार, 19 मार्च 2020
जीवन की प्रथम और महत्वपूर्ण आवश्यकता "स्वास्थ्य"
जीवन की प्रथम और महत्वपूर्ण आवश्यकता "स्वास्थ्य"
स्वस्थ रहने के आवश्यक नियम -
० रात्रि की सोने से पहले दांत साफ करके सोयें।
० प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में जगें।
० जगते ही गुनगुना पानी पीयें । जितना पी सकते उतना पीयें। धीरे धीरे पानी की मात्रा बढ़ाते हुए एक लीटर तक बढायें।
० थोड़ा टहलकर शौच से निवृत्त होकर अच्छे से हाथ धोयें। ( ध्यान रहे - एक ही साबुन से सभी हाथ ना धोयें या तो तरल स्थिति ( लिक्विड ) या पाउडर स्थिति में हाथ धोने का साबुन हो उससे धोयें या साफ मिट्टी से भी धो सकते हैं)
० उपरान्त दांत साफ करें इसके लिए आयुर्वेदिक मञ्जन, पेस्ट या दातुन से करें। दांत साफ करने के बाद जीवी से चीभ साफ करें तथा अपने हाथ की दोनों बीच की बड़ी उंगलियों ( मध्यमा और अनामिका ) को मिलाकर धीरे धीरे जीभ पर रगडें। आंख, नाक से पानी निकले तो घबरायें नहीं, यह सब सफाई ही है। और मुँह में से पानी पलट जाये तो भी ना घबरायें।
० फिर व्यायाम, आसन और प्राणायाम करें। ( व्यायाम, आसन और प्राणायाम की ठीक जानकारी लेकर ही अभ्यास करें ) व्यायाम करते समय शक्ति का अतिक्रमण न करें । पहले दिन थोड़ा अभ्यास करें फिर प्रतिदिन अभ्यास का समय बढ़ायें। अच्छे परिणाम के लिए अभ्यास प्रतिदिन करें।
व्यायाम इस तरह करें कि शरीर के प्रत्येक जोड़ का अभ्यास हो जाय। उंगलियों के जोड़ का अभ्यास बार बार मुट्ठी बन्द करके करें, मुट्ठी बन्द करके और खोलकर कलाई घुमाकर कलाई का अभ्यास करें इसी प्रकार कुहनी, कन्धे, कमर-कटि, घुटने और टखने को उचित दिशा में घुमाकर कर अभ्यास करें। धीरे धीरे कुछ कठिन अभ्यास करें।
पद्मासन, वज्रासन, चक्रासन और मण्डूकासन आदि का अभ्यास करें। आरम्भ में टहलने का अभ्यास भी अच्छा रहेगा। युवावस्था वाले दौड़ने और दण्ड-बैठक का अभ्यास धीरे धीरे बढ़ायें।
प्राणायाम - आरम्भ में थोड़े समय प्राणायाम करें धीरे धीरे प्राणायाम का समय बढ़ायें। प्राणायाम और क्रियायें अनेक प्रकार की हैं, कम से कम और अत्यावश्यक प्राणायाम और क्रियाओं का क्रम इस प्रकार रखें -
१. भस्त्रिका
२. कपाल भाति
३. बाह्य प्राणायाम ( त्रि बन्ध के साथ )
४. अग्निसार
५. अनुलोम विलोम
६. ओंकार जाप या उद्गीथ
७. उज्जायी
८. भ्रामरी
९. गायत्री जाप ( सन्ध्या )
० व्यायाम से पहले या कुछ देर के उपरान्त स्नान करें।
० उपरान्त दैनिक यज्ञ (अग्निहोत्र ) करें।
० भोजन में शाकाहार ही लें।
० दिन में अपने आवश्यक कार्यों को करके रात्रि को समय से ही सोयें।
० साम के भोजन से पूर्व दूर तक अवश्य टहलें। टहलने की दूरी धीरे धीरे बढ़ायें।
० साम के भोजन को रात्रि से पूर्व करें।
[यहां पर जानकारी केवल सूत्र रूप में लिखी है इन बिन्दुओं पर विस्तार से भी कभी लिखेंगे। उपरोक्त सन्दर्भ में अधिक जानकारी के लिए आप हमसे सम्पर्क कर सकते हैं - ९८९७०६०८२२]
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