शनिवार, 2 मार्च 2019

सैद्धान्तिक चर्चा - १. "विश्व कल्याण का आधार वेद"

सैद्धान्तिक चर्चा - १.           "विश्व कल्याण का आधार वेद"

        हम नियमित रुप से सैद्धान्तिक चर्चा आरम्भ कर रहे हैं। जो तर्क और प्रमाणों पर आधारित होगी। यदि आपको इस चर्चा में कोई प्रश्न उपस्थित हो तो अवश्य रखने की कृपा करेंगें। हमारा उद्देश्य केवल और केवल सत्य सिद्धान्तों का प्रचार करना है किसी के दिल को दुखाना नहीं।
        क्योंकि सत्य ज्ञान के बिना किसी का कल्याण सम्भव नही है।
आपसे निवेदन है इस चर्चा पर चिन्तन करें और अपने विचार भी प्रस्तुत करें।

निवेदक
आचार्य  हरिशंकर अग्निहोत्री
                ( वैदिक प्रवक्ता)

० सर्व प्रथम यह जानना आवश्यक है कि हमारा सम्पूर्ण व्यवहार ज्ञान पर आधारित है। मनुष्य ज्ञान अर्जित करता है फिर व्यवहार करता है ।
० संसार में  सब कुछ सीखना पड़ता है या तो हम स्वयं प्रयास करें या कोई निकट सम्पर्क में आने वाला हमें सिखा दे।
० मनुष्य के पास जन्म के समय ज्ञान ना के बराबर होता है जिस जिस परिवेश में रहता है सहज ही सम्बन्धियों के द्वारा अपनी जानकारी सिखा दी जाती हैं।
० सत्य ज्ञान का आदि स्रोत वेद है जिसे परमेश्वर ने सृष्टि के आरम्भ में सृष्टि के प्रथम मनुष्यों को दिया और वहीं से ज्ञान के आदान प्रदान की परम्परा चली ।
० यदि परमेश्वर ज्ञान नही देता तो संसार में कही ज्ञान का व्यवहार नही होता।
० मनुष्य के बच्चे को सम्पूर्ण मानवीय व्यवहार से पृथक रखा जाय तो वह कभी भी मनुष्यता नहीं सीख सकता।
० सृष्टि के आरम्भ में परमेश्वर ने वेद के माध्यम से मनुष्य को सम्पूर्ण ज्ञान दिया ।
० महर्षि दयानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि "वेद सब सत्य विद्याओं का पुस्तक है। वेद का पढ़ना-पढ़ाना और सुनना-सुनाना सब आर्यों परम धर्म है।"
० महर्षि अत्रि ने कहा - वेद से महान शास्त्र विश्व में नहीं है।"
० महर्षि याज्ञवल्क्य ने कहा - "वेद अनन्त ज्ञान का भण्डार है।"
० वेद से ही हमारे पूर्वजों ने जीवन जीने का और सबकी सर्वांगीण उन्नति का सारा ज्ञान अर्जित करके करके विश्व का कल्याण किया है।
० आज हम वेद से बहुत दूर हो गये है या यों कहें कुछ लोंगो ने स्वार्थ से या अज्ञानता से हमें वेद से दूर किया है। तो सारा विश्व सुख से दूर हो गया है । इसीलिए महर्षि दयानन्द सरस्वती जी ने कहा कि - "वेदों की ओर लौटो" ।
० संसार के सभी ग्रन्थ ज्ञान अर्जित करके लिखे गये हैं तथा संसार के सभी मनुष्य ज्ञान अर्जित करके ही कुछ कहने (उपदेश करने ) की स्थिति में होते हैं। और जितना अर्जित कर लेते हैं उतना ही बता सकते है । इस बात को परखना है तो यह जान लीजिए कि संसार में ऐसा कोई व्यक्ति नही मिलेगा जो सब जानता हो। हां यह हो सकता है कि एक विषय में कुछ अधिक जानकारी अर्जित की हो या कुछ विषयों में  सही और अधिक जानकारी अर्जित की हो लेकिन यह नही हो सकता कि हर विषय में सब जानता हो।

अपना और विश्व का कल्याण करना है तो वेद मार्ग ही अपनाना होगा ।
क्रमशः ...

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