शनिवार, 9 मार्च 2019

सैद्धान्तिक चर्चा -८.

सैद्धान्तिक चर्चा - ८.          हरिशंकर अग्निहोत्री

आज हम परमेश्वर के नामों की चर्चा करेंगे। फिर आगे की चर्चाओं में परमेश्वर के स्वरूप और कार्यों को बतायेंगे।

जैसे मनुष्य एक होता है उसके कर्मों के आधार पर अनेक नाम होते हैं ( जैसे मेरा नाम हरिशंकर है साथ ही मैं उपदेश करता हूं तो मुझे उपदेशक कहा जाता है, मैं अध्यापन कार्य करता हूं तो अध्यापक कहते हैं, खेती करने से किसान कहा जाता है तथा कुछ सम्बन्धवाचक भी नाम पुत्र, भाई, पिता और पति आदि भी अनेक नामों से कहते हैं)। वैसे ही परमेश्वर एक है चूंकि परमेश्वर के अनन्त गुण - कर्म है इसीलिए गुणों और कर्मों के आधार पर परमेश्वर के अनेक नाम हैं।

० परमेश्वर का मुख्य नाम "ओ३म्" है -
ओ३म् खम्ब्रह्म । ( यजुर्वेद )
"अवतीत्योम, आकाशमिव व्यापकत्वात् खम्, सर्वेभ्यो बृहत्वाद् ब्रह्म" रक्षा करने से ओम् आकाशवत् व्यापक होने से खं और सबसे बड़ा होने से ब्रह्म ईश्वर का नाम है।

ओमित्येतदक्षरमुद्गीथमुपासीत् । (छन्दोग्य उपनिषद)
ओ३म् जिसका नाम है और जो कभी नष्ट नहीं होता उसी की उपासना करनी योग्य है, अन्य की नहीं ।

ओमित्येतदक्षरमिदं सर्वं तस्योपव्याख्यानम् । ( माण्डूक्य उपनिषद)
सब वेदादिशास्त्रों में परमेश्वर का प्रधान और निज नाम "ओ३म् " को‌ कहा है अन्य सब गौणिक नाम हैं।

सर्वे वेदा यत्पदमामनन्ति तपांसि सर्वाणि च यद्वदन्ति।
यदिच्छन्तो ब्रह्मचर्यं चरन्ति तत्ते पदं संग्रहेण ब्रवीम्योमित्येतत्।। (कठोपनिषद)
क्योंकि सब वेद सब धर्मानुष्ठान रूप तपश्चरण जिसका कथन और मान्य करते और जिसकी प्राप्ति की इच्छा करके ब्रह्मचर्याश्रम करते है, उसका "ओ३म्" है।

० परमेश्वर का मुख्य और निज नाम "ओ३म् " है तथा गुण-कर्मों के अनुसार अनेक नाम है -
सब जगत के बनाने हारे से "ब्रह्मा"।

सर्वत्र व्यापक होने से "विष्णु"।

दुष्टों को दण्ड देके रुलाने से "रुद्र"।

मंगलमय और सबका कल्याण कर्ता होने से "शिव"।

स्वप्रकाश होने से "अग्नि"।

विज्ञान स्वरुप होने से "मनु"।

सब का पालन करने से "प्रजापति"।

परमेश्वर्यवान् होने से "इन्द्र"।

सबका जीवन मूल होने से "प्राण"।

निरन्तर व्यापक होने से परमेश्वर का नाम "ब्रह्म" है।

"भवन्ति भूतानि यस्यां सा भूमिः" जिसमें सब भूत प्राणी होते हैं, इसीलिए ईश्वर का नाम "भूमि" है।

जो चराचर जगत का धारण, जीवन और प्रलय करता है और सब बलवानों से बलवान है, इससे उस ईश्वर का नाम "वायु" है।

"य ईष्टे सर्वैश्वर्यवान् वर्त्तते स ईश्वरः" जिसका सत्य विचार-शील-ज्ञान और अनन्त ऐश्वर्य है, इससे उस परमात्मा का नाम ईश्वर है।

क्रमशः...

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